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अध्याय 52: भगवान् कृष्ण के लिए रुक्मिणी-संदेश
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श्लोक 26
श्लोक
10.52.26
तदवेत्यासितापाङ्गी वैदर्भी दुर्मना भृशम् ।
विचिन्त्याप्तं द्विजं कञ्चित् कृष्णाय प्राहिणोद्द्रुतम् ॥ २६ ॥
अनुवाद
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वैदर्भी जी की श्याम रंग की आँखें थी और वह इस योजना से अवगत थी इसलिए वह इससे महान रूप से दुखी हुई। उसने सारी परिस्थिति पर विचार करते हुए कृष्ण के पास तुरन्त एक विश्वासपात्र ब्राह्मण को भेजा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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