श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 52: भगवान् कृष्ण के लिए रुक्मिणी-संदेश  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  10.52.18 
 
 
श्रीराजोवाच
भगवान् भीष्मकसुतां रुक्‍मिणीं रुचिराननाम् ।
राक्षसेन विधानेन उपयेम इति श्रुतम् ॥ १८ ॥
 
अनुवाद
 
  राजा परीक्षित ने कहा: मैंने सुना है कि भगवान् ने भीष्मक की सुंदर पुत्री रुक्मिणी से राक्षस विधि से विवाह किया था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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