श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 51: मुचुकुन्द का उद्धार  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  10.51.7 
 
 
हस्तप्राप्तमिवात्मानं हरीणा स पदे पदे ।
नीतो दर्शयता दूरं यवनेशोऽद्रिकन्दरम् ॥ ७ ॥
 
अनुवाद
 
  क्षण क्षण कालयवन के हाथों में पकड़े जाने की संभावना दिखाते हुए भगवान हरि उस यवन राज को एक दूर स्थित पर्वत की गुफा तक ले गये।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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