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अध्याय 51: मुचुकुन्द का उद्धार
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श्लोक 22
श्लोक
10.51.22
यवने भस्मसान्नीते भगवान् सात्वतर्षभ: ।
आत्मानं दर्शयामास मुचुकुन्दाय धीमते ॥ २२ ॥
अनुवाद
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जब यवन राख हो गया तो सात्वतों के प्रभु भगवान ने उस बुद्धिमान मुचुकुंद के सामने स्वयं को प्रकट किया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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