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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
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अध्याय 51: मुचुकुन्द का उद्धार
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श्लोक 15
श्लोक
10.51.15
स याचित: सुरगणैरिन्द्राद्यैरात्मरक्षणे ।
असुरेभ्य: परित्रस्तैस्तद्रक्षां सोऽकरोच्चिरम् ॥ १५ ॥
अनुवाद
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देवताओं को राक्षस सता रहे थे तब देवताओं ने उनसे मदद की प्रार्थना की, मुचुकुंद ने लंबे समय तक उनकी रक्षा की।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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