श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 50: कृष्ण द्वारा द्वारकापुरी की स्थापना  »  श्लोक 55
 
 
श्लोक  10.50.55 
 
 
श्यामैकवर्णान् वरुणो हयान् शुक्लान्मनोजवान् ।
अष्टौ निधिपति: कोशान् लोकपालो निजोदयान् ॥ ५५ ॥
 
अनुवाद
 
  वरुण देव ने मन के समान तेज दौड़ने वाले घोड़े भेंट किये। कुछ घोड़े शुद्ध श्याम रंग के थे और कुछ सफेद रंग के। देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर ने अपनी आठों निधियाँ दे दीं। साथ ही, विभिन्न लोकों के स्वामी ने अपने अलग-अलग ऐश्वर्य भेंट किये।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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