श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 50: कृष्ण द्वारा द्वारकापुरी की स्थापना  »  श्लोक 49
 
 
श्लोक  10.50.49 
 
 
इति सम्मन्‍त्र्य भगवान् दुर्गं द्वादशयोजनम् ।
अन्त:समुद्रे नगरं कृत्‍स्‍नाद्भ‍ुतमचीकरत् ॥ ४९ ॥
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार बलराम जी से बातचीत करने के बाद भगवान ने समुद्र में बारह योजन परिधि का एक किला बनवाया। उस किले के भीतर उन्होंने एक ऐसा नगर का निर्माण करवाया जिसमें अद्भुत वस्तुओं से परिपूर्ण था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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