श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 50: कृष्ण द्वारा द्वारकापुरी की स्थापना  »  श्लोक 48
 
 
श्लोक  10.50.48 
 
 
तस्मादद्य विधास्यामो दुर्गं द्विपददुर्गमम् ।
तत्र ज्ञातीन् समाधाय यवनं घातयामहे ॥ ४८ ॥
 
अनुवाद
 
  “इसलिए हम तुरंत एक ऐसा किला बनाएँगे जिसमें कोई भी मानवीय शक्ति प्रवेश न कर सके। अपने परिवार के सदस्यों को वहाँ बसाने के बाद हम म्लेच्छ राजा का वध करेंगे।”
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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