श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 50: कृष्ण द्वारा द्वारकापुरी की स्थापना  »  श्लोक 45
 
 
श्लोक  10.50.45 
 
 
तं द‍ृष्ट्वाचिन्तयत् कृष्ण: सङ्कर्षणसहायवान् ।
अहो यदूनां वृजिनं प्राप्तं ह्युभयतो महत् ॥ ४५ ॥
 
अनुवाद
 
  जब भगवान श्रीकृष्ण और भगवान संकर्षण ने कालयवन को देखा तो श्रीकृष्ण ने परिस्थिति पर विचार किया और कहा, "अरे! अब तो यदुओं पर दोनो तरफ से संकट आ गया।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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