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अध्याय 50: कृष्ण द्वारा द्वारकापुरी की स्थापना
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श्लोक 42
श्लोक
10.50.42
अक्षिण्वंस्तद्बलं सर्वं वृष्णय: कृष्णतेजसा ।
हतेषु स्वेष्वनीकेषु त्यक्तोऽगादरिभिर्नृप: ॥ ४२ ॥
अनुवाद
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भगवान कृष्ण की शक्ति से, वृष्णिवंश के लोग जरासंध की सेना को बार-बार नष्ट कर देते थे और जब उसके सभी सैनिक मारे जाते तो राजा जरासंध को उसके शत्रु छोड़ देते और वह वापस चला जाता था।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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