श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 50: कृष्ण द्वारा द्वारकापुरी की स्थापना  »  श्लोक 40
 
 
श्लोक  10.50.40 
 
 
आयोधनगतं वित्तमनन्तं वीरभूषणम् ।
यदुराजाय तत् सर्वमाहृतं प्रादिशत्प्रभु: ॥ ४० ॥
 
अनुवाद
 
  तदनंतर भगवान कृष्ण ने यदुराज को वह सारा धन भेंट किया जो युद्ध के मैदान में गिरा था—अर्थात् मृत योद्धाओं के अनगिनत आभूषण।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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