श्रीभगवानुवाच
न वै शूरा विकत्थन्ते दर्शयन्त्येव पौरुषम् ।
न गृह्णीमो वचो राजन्नातुरस्य मुमूर्षत: ॥ १९ ॥
अनुवाद
भगवान ने कहा: सच्चे वीर केवल डींग नहीं हाँकते बल्कि अपने कार्य से ही अपना पराक्रम दिखाते हैं। जो चिन्तित रहता हो और मरना चाहता हो, उसके शब्दों को हम गंभीरता से नहीं ले सकते।