श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 48: कृष्ण द्वारा अपने भक्तों की तुष्टि  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  10.48.18 
 
 
युवां प्रधानपुरुषौ जगद्धेतू जगन्मयौ ।
भवद्भ‍य‍ां न विना किञ्चित्परमस्ति न चापरम् ॥ १८ ॥
 
अनुवाद
 
  आप दोनों ही मूल परम पुरुष हैं और ब्रह्मांड के कारण और उसका सार हैं। सृष्टि का कोई भी सूक्ष्म कारण या अभिव्यक्ति आपसे अलग नहीं हो सकती।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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