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श्लोक 68
श्लोक
10.47.68
एवं सभाजितो गोपै: कृष्णभक्त्या नराधिप ।
उद्धव: पुनरागच्छन्मथुरां कृष्णपालिताम् ॥ ६८ ॥
अनुवाद
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[शुकदेव गोस्वामी ने कहा:] हे राजन्, ग्वालों द्वारा कृष्ण के प्रति भक्ति भावना व्यक्त करने के साथ सम्मानित होकर उद्धव मथुरा नगरी लौट आये जो कृष्ण के संरक्षण में थी।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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