श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 47: भ्रमर गीत  »  श्लोक 66
 
 
श्लोक  10.47.66 
 
 
मनसो वृत्तयो न: स्यु: कृष्णपादाम्बुजाश्रया: ।
वाचोऽभिधायिनीर्नाम्नां कायस्तत्प्रह्वणादिषु ॥ ६६ ॥
 
अनुवाद
 
  हमारे मन-मस्तिष्क हमेशा कृष्ण के चरण-कमलों की शरण में रहें, हमारे मुँह से हमेशा उनके नाम का कीर्तन हो, और हमारे शरीर हमेशा उन्हें प्रणाम करें और उनकी सेवा करें।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.