स्वयं लक्ष्मीजी और ब्रह्मा एवं अन्य सभी देवता, जो योग सिद्धि के स्वामी हैं, भगवान कृष्ण के चरण कमलों की पूजा केवल अपने मन में ही कर सकते हैं। किंतु रास नृत्य के समय कृष्ण ने इन गोपियों के स्तनों पर अपने चरण रख दिए और गोपियों ने उन्हीं चरणों का आलिंगन करके सारे दु:ख त्याग दिए।