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श्लोक 54
श्लोक
10.47.54
उवास कतिचिन्मासान्गोपीनां विनुदन् शुच: ।
कृष्णलीलाकथां गायन् रमयामास गोकुलम् ॥ ५४ ॥
अनुवाद
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उद्धव ने वहाँ कृष्ण की लीलाओं की कथाएँ कहकर गोपियों को उनके दुख से मुक्त किया और कई महीनों तक वहीं रहे। इस तरह उन्होंने सभी गोकुलवासियों के लिए आनंद का संचार किया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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