वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
»
अध्याय 47: भ्रमर गीत
»
श्लोक 51
श्लोक
10.47.51
गत्या ललितयोदारहासलीलावलोकनै: ।
माध्व्या गिरा हृतधिय: कथं तं विस्मरामहे ॥ ५१ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
हे उद्धव, उनके चलने का मनमोहक अंदाज़, उनकी उदार हँसी, चंचल दृष्टियाँ और मधुर वचन हमारे हृदय को चुरा चुके हैं, तो हम उन्हें कैसे भूल सकते हैं?
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.