श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 47: भ्रमर गीत  »  श्लोक 49
 
 
श्लोक  10.47.49 
 
 
सरिच्छैलवनोद्देशा गावो वेणुरवा इमे ।
सङ्कर्षणसहायेन कृष्णेनाचरिता: प्रभो ॥ ४९ ॥
 
अनुवाद
 
  हे उद्धव प्रभु, जब यहाँ कृष्ण सांकर्षण जी के साथ थे तो ये सारी नदियाँ, पर्वत, वन, गाय और बाँसुरी की ध्वनियाँ उन्हें सुख देती थी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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