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श्रीमद् भागवतम
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अध्याय 47: भ्रमर गीत
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श्लोक 46
श्लोक
10.47.46
किमस्माभिर्वनौकोभिरन्याभिर्वा महात्मन: ।
श्रीपतेराप्तकामस्य क्रियेतार्थ: कृतात्मन: ॥ ४६ ॥
अनुवाद
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महापुरुष कृष्ण लक्ष्मी के स्वामी हैं और वे जो भी इच्छा करते हैं उसे स्वयं ही प्राप्त कर लेते हैं। जब वे पहले से ही संतुष्ट एवं पूर्ण हैं, तो हम वनवासी महिलाएँ या अन्य महिलाएं उनके उद्देश्यों को कैसे पूरा कर सकती हैं?
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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