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श्रीमद् भागवतम
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अध्याय 47: भ्रमर गीत
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श्लोक 38
श्लोक
10.47.38
श्रीशुक उवाच
एवं प्रियतमादिष्टमाकर्ण्य व्रजयोषित: ।
ता ऊचुरुद्धवं प्रीतास्तत्सन्देशागतस्मृती: ॥ ३८ ॥
अनुवाद
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शुकदेव गोस्वामी ने कहा: व्रज की स्त्रियाँ अपने प्रियतम कृष्ण से यह सन्देश सुनकर प्रसन्न हुईं। उनके शब्दों को सुनते ही उनकी पुरानी यादें ताजा हो गईं और उन्होंने उद्धव से इस प्रकार कहा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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