श्रीमद् भागवतम » स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ » अध्याय 47: भ्रमर गीत » श्लोक 28 |
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| | श्लोक 10.47.28  | |  | | श्रूयतां प्रियसन्देशो भवतीनां सुखावह: ।
यमादायागतो भद्रा अहं भर्तू रहस्कर: ॥ २८ ॥ | | अनुवाद | | हे भद्र महिलाओं, अब तुम सब अपने प्रियतम का संदेश सुनो जिसे अपनी स्वामी का विश्वस्त दास होने के कारण मैं तुम सब के पास पहुँचाने आया हूँ। | |
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