श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 47: भ्रमर गीत  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  10.47.22 
 
 
श्रीशुक उवाच
अथोद्धवो निशम्यैवं कृष्णदर्शनलालसा: ।
सान्‍त्‍वयन् प्रियसन्देशैर्गोपीरिदमभाषत ॥ २२ ॥
 
अनुवाद
 
  शुकदेव गोस्वामी ने कहा: यह सब सुनकर उद्धव ने गोपियों को ढांढस बंधाने का प्रयास किया जो कि कृष्ण के दर्शन के लिए बहुत व्याकुल थीं। इस प्रकार उन्होंने उनसे उनके प्रियतम का संदेश कहा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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