अरे मधुमक्खी, तू यहाँ हमारे जैसे घर-बारविहीन लोगों के सामने यदुओं के स्वामी के बारे में इतना गाती क्यों है? ये कहानियाँ अब हमारे लिए पुरानी हो चुकी हैं। इससे अच्छा होगा कि तू अर्जुन के उस मित्र के बारे में जाकर उसकी नई सहेलियों के सामने गाए जिसने उनकी छाती की दाहक इच्छा शांत की है। वे नारियाँ तुझे अवश्य ही मनचाहा दान-पुण्य देंगी।