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श्लोक 47
श्लोक
10.46.47
भगवत्युदिते सूर्ये नन्दद्वारि व्रजौकस: ।
दृष्ट्वा रथं शातकौम्भं कस्यायमिति चाब्रुवन् ॥ ४७ ॥
अनुवाद
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जब सूर्य भगवान उदय हो गए, तो व्रजवासियों ने नंद महाराज के द्वार के सामने एक सुनहरा रथ देखा। इसलिए उन्होंने पूछा, "यह किसका रथ है?"
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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