श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 46: उद्धव की वृन्दावन यात्रा  »  श्लोक 34
 
 
श्लोक  10.46.34 
 
 
आगमिष्यत्यदीर्घेण कालेन व्रजमच्युत: ।
प्रियं विधास्यते पित्रोर्भगवान् सात्वतां पति: ॥ ३४ ॥
 
अनुवाद
 
  भक्तों के स्वामी अच्युत कृष्ण जल्द ही अपने माता-पिता को खुश करने के लिए व्रज लौट आएंगे।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.