श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 46: उद्धव की वृन्दावन यात्रा  »  श्लोक 28
 
 
श्लोक  10.46.28 
 
 
यशोदा वर्ण्यमानानि पुत्रस्य चरितानि च ।
श‍ृण्वन्त्यश्रूण्यवास्राक्षीत् स्‍नेहस्‍नुतपयोधरा ॥ २८ ॥
 
अनुवाद
 
  माता यशोदा जैसे ही अपने पुत्र के कार्यों का वर्णन सुनती हैं, वैसे ही उनकी आँखों से आँसू बहने लगते हैं और प्रेम के कारण उनके स्तनों से दूध बहने लगता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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