यशोदा वर्ण्यमानानि पुत्रस्य चरितानि च ।
शृण्वन्त्यश्रूण्यवास्राक्षीत् स्नेहस्नुतपयोधरा ॥ २८ ॥
अनुवाद
माता यशोदा जैसे ही अपने पुत्र के कार्यों का वर्णन सुनती हैं, वैसे ही उनकी आँखों से आँसू बहने लगते हैं और प्रेम के कारण उनके स्तनों से दूध बहने लगता है।