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स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
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अध्याय 46: उद्धव की वृन्दावन यात्रा
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श्लोक 26
श्लोक
10.46.26
प्रलम्बो धेनुकोऽरिष्टस्तृणावर्तो बकादय: ।
दैत्या: सुरासुरजितो हता येनेह लीलया ॥ २६ ॥
अनुवाद
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यहाँ वृन्दावन में, कृष्ण और बलराम ने बड़ी ही आसानी से प्रलंब, धेनुक, अरिष्ट, तृणावर्त और बका जैसे उन असुरों को परास्त कर दिया, जिन्होंने स्वयं देवताओं और अन्य असुरों को पराजित किया था।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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