श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 45: कृष्ण द्वारा अपने गुरु-पुत्र की रक्षा  »  श्लोक 48
 
 
श्लोक  10.45.48 
 
 
गच्छतं स्वगृहं वीरौ कीर्तिर्वामस्तु पावनी ।
छन्दांस्ययातयामानि भवन्‍त्‍विह परत्र च ॥ ४८ ॥
 
अनुवाद
 
  हे वीरों, अब तुम अपने घर लौट जाओ। तुम्हारे यश से संसार पवित्र हो जाए और इस जन्म और अगले जन्म में भी वैदिक स्तुतियाँ तुम्हारे मन में ताजा बनी रहें।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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