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अध्याय 45: कृष्ण द्वारा अपने गुरु-पुत्र की रक्षा
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श्लोक 28
श्लोक
10.45.28
या: कृष्णरामजन्मर्क्षे मनोदत्ता महामति: ।
ताश्चाददादनुस्मृत्य कंसेनाधर्मतो हृता: ॥ २८ ॥
अनुवाद
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तब महामना वसुदेव को कृष्ण और बलराम के जन्म के समय मानसिक रूप से दान की हुई गायें याद आईं। कंस ने उन गायों को चुरा लिया था, लेकिन अब वसुदेव ने उन्हें वापस पा लिया था और उन्हें भी दान में दे दिया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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