श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 44: कंस वध  »  श्लोक 51
 
 
श्लोक  10.44.51 
 
 
देवकी वसुदेवश्च विज्ञाय जगदीश्वरौ ।
कृतसंवन्दनौ पुत्रौ सस्वजाते न शङ्कितौ ॥ ५१ ॥
 
अनुवाद
 
  अब कृष्ण और बलराम को ब्रह्मांड के स्वामी के रूप में जानकर देवकी और वसुदेव सिर्फ हाथ जोड़े खड़े रहे। डर के कारण उन्होंने अपने बेटों को गले नहीं लगाया।
 
 
इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध दस के अंतर्गत चौंतालीसवाँ अध्याय समाप्त होता है ।
 
 
 
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