श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 44: कंस वध  »  श्लोक 48
 
 
श्लोक  10.44.48 
 
 
सर्वेषामिह भूतानामेष हि प्रभवाप्यय: ।
गोप्ता च तदवध्यायी न क्‍वचित्सुखमेधते ॥ ४८ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान कृष्ण इस संसार के सभी जीवों को प्रकट करते हैं और उन्हें विलुप्त भी करते हैं। साथ ही, वे उनके पालनहार भी हैं। जो कृष्ण जी का तिरस्कार और अनादर करता है, वह कभी भी सुख और शांतिपूर्वक नहीं रह सकता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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