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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
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अध्याय 44: कंस वध
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श्लोक 46
श्लोक
10.44.46
त्वया विरहिता पत्या पुरीयं पुरुषर्षभ ।
न शोभते वयमिव निवृत्तोत्सवमङ्गला ॥ ४६ ॥
अनुवाद
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हे पुरुषों में श्रेष्ठ वीर, इस नगरी का सौन्दर्य तुम्हारे बिना वैसा ही खो गया है, जैसे हम खो गए हैं और इसके भीतर के सभी हर्ष और सौभाग्य का अंत हो गया है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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