श्रीमद् भागवतम » स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ » अध्याय 44: कंस वध » श्लोक 43 |
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| | श्लोक 10.44.43  | |  | | तेषां स्त्रियो महाराज सुहृन्मरणदु:खिता: ।
तत्राभीयुर्विनिघ्नन्त्य: शीर्षाण्यश्रुविलोचना: ॥ ४३ ॥ | | अनुवाद | | हे प्रभु, कंस और उसके भाइयों की पत्नियाँ, अपने पति की मृत्यु से दुखी होकर, अपने सिर पीटते हुए और आँखों में आँसू भरे हुए वहाँ आईं। | |
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