कंस सदा ही इस विचार से विचलित रहता था कि भगवान उसे मार डालेंगे। इसलिए भगवान का हाथ में चक्र धारण किए हुए रूप उसे हर जगह दिखाई देता था - चाहे वह खा रहा हो, पी रहा हो, चल रहा हो, सो रहा हो या यहाँ तक कि साँस भी ले रहा हो। इस तरह कंस ने भगवान के समान रूप (सारूप्य) प्राप्त करने का दुर्लभ वर प्राप्त कर लिया।