श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 44: कंस वध  »  श्लोक 36
 
 
श्लोक  10.44.36 
 
 
तं खड्‌गपाणिं विचरन्तमाशुश्येनं यथा दक्षिणसव्यमम्बरे ।
समग्रहीद् दुर्विषहोग्रतेजायथोरगं तार्क्ष्यसुत: प्रसह्य ॥ ३६ ॥
 
अनुवाद
 
  हाथ में तलवार लिए हुए कंस आकाश में बाज की तरह एक ओर से दूसरी ओर तेजी से भाग रहा था। किन्तु असहनीय भयानक शक्ति वाले भगवान श्री कृष्ण ने उस दानव को उसी तरह बलपूर्वक पकड़ लिया था जैसे तार्क्ष्य-पुत्र (गरुड़) किसी सांप को पकड़ लेता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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