श्रीमद् भागवतम » स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ » अध्याय 44: कंस वध » श्लोक 34 |
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| | श्लोक 10.44.34  | |  | | एवं विकत्थमाने वै कंसे प्रकुपितोऽव्यय: ।
लघिम्नोत्पत्य तरसा मञ्चमुत्तुङ्गमारुहत् ॥ ३४ ॥ | | अनुवाद | | जब कंस इस तरह अहंकार में भरकर गरज रहा था, अच्युत भगवान् कृष्ण अत्यंत क्रुद्ध होकर तेज़ी के साथ सहजता से उछलकर ऊँचे राज मंच पर जा पहुँचे। | |
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