श्रीमद् भागवतम » स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ » अध्याय 44: कंस वध » श्लोक 32 |
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| | श्लोक 10.44.32  | |  | | नि:सारयत दुर्वृत्तौ वसुदेवात्मजौ पुरात् ।
धनं हरत गोपानां नन्दं बध्नीत दुर्मतिम् ॥ ३२ ॥ | | अनुवाद | | [कंस ने कहा]: वसुदेव के दोनों शैतान पुत्रों को नगर से बाहर निकाल दो। ग्वालों की संपत्ति ज़ब्त कर लो और उस मूर्ख नन्द को गिरफ़्तार कर लो। | |
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