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श्लोक 26
श्लोक
10.44.26
तत: कूटमनुप्राप्तं राम: प्रहरतां वर: ।
अवधील्लीलया राजन्सावज्ञं वाममुष्टिना ॥ २६ ॥
अनुवाद
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इसके बाद पहलवान कूट से भिड़ंत हुई, योद्धाओं में सर्वश्रेष्ठ बलराम ने, हे राजन्, उसे अपनी बाईं मुट्ठी से मज़ाक-मज़ाक में ही मार डाला।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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