श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 43: कृष्ण द्वारा कुवलयापीड हाथी का वध  »  श्लोक 35
 
 
श्लोक  10.43.35 
 
 
तस्माद् राज्ञ: प्रियं यूयं वयं च करवाम हे ।
भूतानि न: प्रसीदन्ति सर्वभूतमयो नृप: ॥ ३५ ॥
 
अनुवाद
 
  इसलिए हम वही करें जो राजा चाहता है। इससे हमारे साथ सभी प्रसन्न होंगे क्योंकि राजा सभी जीवों का प्रतीक होता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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