श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 42: यज्ञ के धनुष का टूटना  »  श्लोक 38
 
 
श्लोक  10.42.38 
 
 
नन्दगोपादयो गोपा भोजराजसमाहुता: ।
निवेदितोपायनास्त एकस्मिन्मञ्च आविशन् ॥ ३८ ॥
 
अनुवाद
 
  भोजराज (कंस) के बुलावे पर नंद महाराज और अन्य ग्वाले उसे भेंट चढ़ाकर दीर्घा में बैठ गए।
 
 
इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध दस के अंतर्गत बयालीसवाँ अध्याय समाप्त होता है ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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