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अध्याय 42: यज्ञ के धनुष का टूटना
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श्लोक 36
श्लोक
10.42.36
वाद्यमानेषु तूर्येषु मल्लतालोत्तरेषु च ।
मल्ला: स्वलङ्कृता: दृप्ता: सोपाध्याया: समासत ॥ ३६ ॥
अनुवाद
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जब कुश्ती के अनुकूल ताल अर्थात् मल्ली पर वाद्य यंत्रों की ध्वनि जोर से गूँजने लगी तो खूब सजे-धजे, गर्व से भरे पहलवान अपने-अपने प्रशिक्षकों के साथ अखाड़े में दाखिल हुए और बैठ गए।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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