श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 42: यज्ञ के धनुष का टूटना  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  10.42.19 
 
 
तद् रक्षिण: सानुचरं कुपिता आततायिन: ।
गृहीतुकामा आवव्रुर्गृह्यतां वध्यतामिति ॥ १९ ॥
 
अनुवाद
 
  तब क्रुद्ध रक्षकों ने अपने हथियार उठा लिये और कृष्ण और उनके संगियों को पकड़ने की इच्छा से उन्हें घेर लिया और ज़ोर से चिल्लाने लगे, "उसे पकड़ो! उसे मार डालो!"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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