वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
»
अध्याय 42: यज्ञ के धनुष का टूटना
»
श्लोक 19
श्लोक
10.42.19
तद् रक्षिण: सानुचरं कुपिता आततायिन: ।
गृहीतुकामा आवव्रुर्गृह्यतां वध्यतामिति ॥ १९ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
तब क्रुद्ध रक्षकों ने अपने हथियार उठा लिये और कृष्ण और उनके संगियों को पकड़ने की इच्छा से उन्हें घेर लिया और ज़ोर से चिल्लाने लगे, "उसे पकड़ो! उसे मार डालो!"
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.