विसृज्य माध्व्या वाण्या ताम्व्रजन् मार्गे वणिक्पथै: ।
नानोपायनताम्बूलस्रग्गन्धै: साग्रजोऽर्चित: ॥ १३ ॥
अनुवाद
भगवान कृष्ण उसे मीठी बातें कहकर विदाई देकर आगे बढ़े। रास्ते में व्यापारियों ने उनका सम्मान किया और उनके बड़े भाई के साथ-साथ भगवान कृष्ण को भी पान, माला और सुगंधित वस्तुओं से भेंट दी।