श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 41: कृष्ण तथा बलराम का मथुरा में प्रवेश  »  श्लोक 51
 
 
श्लोक  10.41.51 
 
 
सोऽपि वव्रेऽचलां भक्तिं तस्मिन्नेवाखिलात्मनि ।
तद्भ‍क्तेषु च सौहार्दं भूतेषु च दयां पराम् ॥ ५१ ॥
 
अनुवाद
 
  सुदामा ने समस्त जगत के परमात्मा श्रीकृष्ण की अटूट भक्ति, उनके भक्तों के साथ सच्ची मित्रता और सभी जीवों के प्रति दिव्य करुणा का मार्ग चुना।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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