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स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
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अध्याय 41: कृष्ण तथा बलराम का मथुरा में प्रवेश
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श्लोक 43
श्लोक
10.41.43
तत: सुदाम्नो भवनं मालाकारस्य जग्मतु: ।
तौ दृष्ट्वा स समुत्थाय ननाम शिरसा भुवि ॥ ४३ ॥
अनुवाद
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उसके बाद दोनों भगवान सुदामा माली के घर गए। जब सुदामा ने उन्हें देखा तो वह तुरंत खड़ा हो गया और जमीन पर माथा टेककर उसने उन्हें प्रणाम किया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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