श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 41: कृष्ण तथा बलराम का मथुरा में प्रवेश  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  10.41.17 
 
 
श्रीभगवानुवाच
आयास्ये भवतो गेहमहमार्यसमन्वित: ।
यदुचक्रद्रुहं हत्वा वितरिष्ये सुहृत्प्रियम् ॥ १७ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान ने कहा : मैं अपने बड़े भाई के साथ आपके घर आऊंगा लेकिन सबसे पहले मुझे यदु जाति के दुश्मन को मारकर अपने दोस्तों और चाहने वालों को संतुष्ट करना है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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