श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 40: अक्रूर द्वारा स्तुति  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  10.40.7 
अन्ये च संस्कृतात्मानो विधिनाभिहितेन ते ।
यजन्ति त्वन्मयास्त्वां वै बहुमूर्त्येकमूर्तिकम् ॥ ७ ॥
 
 
अनुवाद
और भी अन्य लोग हैं जिनकी बुद्धि निष्कपट है, वे आपके द्वारा बताए गए वैष्णव शास्त्रों के नियमों का पालन करते हैं। वे अपने मन को आपके चिन्तन में लीन करके आपकी पूजा परमप्रभु रूप में करते हैं।
 
और भी अन्य लोग हैं जिनकी बुद्धि निष्कपट है, वे आपके द्वारा बताए गए वैष्णव शास्त्रों के नियमों का पालन करते हैं। वे अपने मन को आपके चिन्तन में लीन करके आपकी पूजा परमप्रभु रूप में करते हैं।
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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