नोत्सहेऽहं कृपणधी: कामकर्महतं मन: ।
रोद्धुं प्रमाथिभिश्चाक्षैर्ह्रियमाणमितस्तत: ॥ २७ ॥
अनुवाद
मेरी बुद्धिमत्ता इतनी कमज़ोर है कि मैं अपने मन को नियंत्रित करने की शक्ति नहीं जुटा पा रहा हूँ। मेरा मन भौतिक इच्छाओं और कामों से भटका हुआ है और मेरी जिद्दी इंद्रियाँ इसे लगातार इधर-उधर घसीट रही हैं।