श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 39: अक्रूर द्वारा दर्शन  »  श्लोक 41
 
 
श्लोक  10.39.41 
 
 
निमज्ज्य तस्मिन्सलिले जपन्ब्रह्म सनातनम् ।
तावेव दद‍ृशेऽक्रूरो रामकृष्णौ समन्वितौ ॥ ४१ ॥
 
अनुवाद
 
  वेदों से नित्य मंत्रों का जप करते हुए अक्रूर ने जब अपने आप को जल में डुबोया तो उन्होंने सहसा अपने सामने बलराम और कृष्ण को खड़ा देखा।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.